Sunday 29 May 2016

पुनर्जन्म: मौत के बाद जिंदगी..

भारत ही नहीं दुनिया के कई हिस्सो से समय समय पर इस प्रकार की खबर अक्सर सुनने को मिलती हैI ज़्यादातर मामलों में छोटे बच्चे अपनी किसी अलग पहचान का दावा करते नज़र आते हैंI मीडीया चॅनेल्स पर वैज्ञानिक, ज्योतिष् के विशेषज्ञ और धर्म विशेष के जानकार इस प्रकार की बहस करते नज़र आते हैंI अलग लोगों के इस पर अलग मत हैं, कई मनोरॉगी इसे केवल एक मनोरोग बताते हैं और कई ऐसे भी हैं जो उनसे सहमत नहीं हैI जो लोग पुनर्जन्म के पक्ष में हैं उनकी पहली दलील यह होती है कि क्यों एक ही समय पैदा हुए दो अलग बच्चे, अलग अलग भाग्य पाते हैं? एक का जन्म सभी सुख सुविधाओं से संपन्न परिवार में हो जाता है और दूसरे का जन्म अभावों से पीड़ित किसी परिवार मेंI क्यों कोई राजा बन जाता है और दूसरा रंक? वो मानते हैं कि जीवन में मिलने वाले कष्ट और आनंद पिछले जन्म में हमारे द्वारा किए गये अच्छे अथवा बुरे कर्मों के ही परिणाम होते हैंI
the-strange-life-death-and-rebirth-of-the-cio-and-what-it-means-for-the-future-of-it-v1

विज्ञान से उत्तर माँगा जाता है तो वह दुविधा में नज़र आता हैI वह इसे स्वीकारता नहीं लेकिन इसी नकार भी नहीं पाता हैI उनके तर्क तब ख़त्म हो जाते हैं जब सवाल यह उठता है कि कोई निर्बोध बच्चा कैसे किसी मृत आदमी या औरत के जीवन के बारे में इतना कुछ जनता हैI ऐसी बातें जो केवल वही व्यक्ति जनता था जिसकी मौत हो चुकी है, उसके अलावा उसके अपने बस वो बात जानते थेI कई बार तो मौत की वजह भी पुनर्जन्म होने के बाद ही पता चल सकी हैI ऐसे लोग जिन्होने पहले इस बात पर संदेह किया यह तर्क देते हुए कि कोई किसी मरे हुए व्यक्ति की जानकारियों को चुराकर लोगों को बेवकूफ़ बना रहा है, जिसमे किसी बच्चे का सहारा लिया जाता हैI वो लोग तब निरुत्तर हो जाते हैं जब उस बच्चे को पहली बार उस स्थान पर ले जया जाता है जहाँ उसने अपने पिछले जन्म का दावा किया होता हैI अचम्भा होता है यह देखकर जब वह बच्चा खुद अपने घर का रास्ता तय करता है, उस बच्चे में आत्मविश्वास भरा होता है जो बनावटी तो कतई नहीं हो सकताI आलोचको के मुँह तब बिल्कुल बंद हो जाते हैं जब मरे हुए व्यक्ति के मा बाप इस बात की पुष्टि कर देते हैंI

धार्मिक दृष्टि से अगर इसे देखा जाए तो दुनिया के प्रमुख धर्मों में से केवल हिंदू धर्म की मान्यता और इस से जुड़ी शाखाएँ ही पुनर्जन्म में पूर्ण विश्वास रखती हैंI इस्लाम तथा ईसाइयत इसे सिरे से नकार देती हैI


हिंदू मान्यता इस से आगे भी कुछ कहती है, उसके अनुसार आत्मा अजर अमर है और जो जन्म जन्मान्तर के इस चक्र में हर बार एक नया शरीर धारण कर जन्म लेती रहती हैI साथ ही जन्म जन्मान्तर के चक्र से मुक्त होने का मार्ग भी बताया है, जिसे कहते हैं मोक्षI मोक्ष तो ना जाने कब मिलेगा, कैसे मिलेगा लेकिन जब तक जन्मों के फेरे में हैं और फिर से जन्म इसी धरती पर लेना है तो करमो पर ध्यान अभी से देने लग जाओI और यह भी हिसाब लगाने लग जाओ की,

कितने अच्छे या बुरे हैं आपके इस जन्म के कर्म?
पुण्य और पापों में से क्या ज़्यादा है और क्या है कम?

 

क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि जब कोई मरता है तो आत्मा अपने नए सफर पर निकल जाती है और किसी नए शरीर को प्राप्त करके पुर्वजन्म के कर्मों का फल भोगती है।अगर आप भी पुनर्जन्म में भरोशा रखते हैं तो अगले जन्म में दाखिला आपके कर्मों के रिपोर्ट कार्ड के आधार पर ही मिलेगा, यह तो पक्का हैI वैसे इस लेख को अपने दोस्तों से साझा करने पर एक पुण्य तो आप यहीं कमा सकते हैंI
इस लेख के साथ कुछ ऐसी ही कहानियाँ की रिपोर्टिंग दिखाई गई है, देखिए और खुद तय कीजिए..
पुनर्जन्म सच है या महज भ्रम?


 

 

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