Tuesday 26 July 2016

Desh Ka Doctor

Like करने से पहले पढ़ लो...
एक गाँव के लोग #ज्वर (बुखार) से पीड़ित थे, कई#नीम_हकीमो की दवा लेने के बाद भी ज्वर का प्रकोप जारी था। अंत में गाँव वालों ने इस से निपटने के लिए एक #डॉक्टरको नियुक्त किया। हकीमों ने गाँव वालों को भड़काने की कोशिश की लेकिन गाँव वालों को डॉक्टर से बहुत उम्मीदें थी। डॉक्टर की कठिन मेहनत के बाद ज्वर की समस्या कम तो हुई लेकिन पूरी तरह ख़त्म नहीं हो पा रही थी। डॉक्टर बिना परवाह #मेहनत करता जा रहा था फिर भी कुछ गाँव वालों का सब्र टूट रहा था और इसका लाभ लेकर नीम हकिम गाँव वालों को डॉक्टर के खिलाफ करने की कोशिश करने लगे। आखिर उनका धंधा जो चौपट हो रहा था।
अंत में वो कामयाब हुए और डॉक्टर को वापस भेज दिया गया। डॉक्टर के जाने के साथ ही गाँव वालों को कई बिमारियों ने घेर लिया।
असल में वह डॉक्टर ज्वर का इलाज़ तो कर ही रहा था लेकिन गाँव वालों को यह नहीं पता था कि आस पास के गाँव किसी#महामारी की चपेट में आ चुके थे और वह डॉक्टर ज्वर से लड़ने के साथ साथ उस महामारी के #संक्रमण को भी गाँव में आने से रोक रहा था।

आज यही हालात इस देश में हो रहे हैं जहाँ पूरी दुनिया मंदी के दौर से गुजर रही है वहीँ #भारत एकलौता वो देश है जो इस समय भी विकास कर पा रहा है।। लेकिन इस देश के नीम हकिम गाँव वालों को डॉक्टर के खिलाफ करने पर तुले हैं।

अब बताओ क्या हम भी अपने डॉक्टर श्री नरेंद्र मोदी को बदल दें क्योंकि अभी भी ज्वर समाप्त नहीं हो सका है??
#विशेष यदि आपने इस पोस्ट को पूरा पढ़ा है तो please इसे like ना करे, like करके आप साबित कर रहे कि आप बिना पढ़े समझे कुछ भी like करने को आतुर रहते हैं।।
अपने विचार रखें अथवा किसी मरीज को डॉक्टर की मेहनत के बारे में बता दे।। share करो मित्रों बेझिजक।।।
@n@nt


‎खाये_खाये‬ के मुटियाये

‪#‎खाये_खाये‬ के मुटियाये, भूख ना पूरी होये है।
भूखा बचपन बिलख रहा, ‪#‎तड़प_तड़प‬ के रोये है।।
\
ना तुझको ना फुरसत मुझको,
बात बड़ी सब करते हैं।
याद इन्हें कब करते हम,
जब पिज़्ज़ा बर्गर चरते हैं।
\
उम्मीद बांधते उनसे हैं,
जिनका मर चुका ईमान है।
थोड़ा तू कर थोड़ा मैं करूँ,
ये सब भी तो इंसान हैं।।
\
जगा उन्हें ओ बंधू प्यारे, जो मानव मूल्य सोये हैं।
भूखा बचपन बिलख रहा, तड़प तड़प के रोय है।।
@n@nt

अजब सा खंडह

अजब सा खंडहर बन के रह गया ये देश, कि हर साल कुछ डह जाता है।
जो बरसे ना तो सुखा, जो थोडा बरस जाये तो सब कुछ बह जाता है।।
अब क्या मैं दुआ करूँ कि बरसे, 
या फिर ना बरसे?
क्योंकि confuse तो बादल भी है,
जब जब वो बरसे कोई थमने को कह जाता है।। ‪#‎continue_reading_anant‬
@n@nt

बारिश होने लगी है बंधू

बारिश होने लगी है बंधू, कभी भीगने का मजा ले।
कुदरत कुछ सिखाती है ऐसे, कभी सिखने का मजा ले।।
क्यों डरता है तू पानी के छींटों से,
कुछ को लगने भी दे अंगो पर।
कभी बहार निकल और नजर लगा,
इंद्रधनुष के सत-रंगो पर।।
क्यों घुट घुट कर जीता है, कुदरत के संग खेल जरा।
बाहें वो फ़ैलाती देख, तू भी तो कर मेल जरा।।
बुदबुदाना छोड़ अब, कभी बिजली संग चीखने का मजा ले।
बारिश होने लगी है बंधू, कभी भीगने का मजा ले।
कुदरत कुछ सिखाती है ऐसे, कभी सिखने का मजा ले।।
@n@nt

नए मुकाम को चलते हैं।

चल भाई चल किसी नए मुकाम को चलते हैं।
क्या काम वहाँ जहाँ अपने अपनो से जलते हैं।।
घटते घटते घट गए तुम,
दुनिया के हर कोने से।
क्या किसी को फर्क हुआ, 
तेरे होने से ना होने से।।
अब तो बारी भारत की है,
सो जान बचाकर भागले।
आँख मींच के सोया तू,
जाग सके तो जागले।
उम्मीद करें तो किससे,
जहाँ सांप आस्तीन में पलते हैं।
चल भाई चल किसी नए मुकाम को चलते हैं।
क्या काम वहाँ जहाँ अपने अपनो से जलते हैं।।
@n@nt

आतंक का क्या धर्म है?

पता नहीं मुझे कि आतंक का क्या धर्म है।
इतना तो सच है इंसानी हाथों से शैतानी कर्म है।।
जिहाद जिहाद कहकर वो, 
कत्लेआम मचाता है।
दे हवाला अल्लाह का,
वो इसको सही बताता है।।
फिर जब वो कुर्बानी देता,
अपने इस फ़साने में।
छप्पन लगते चीखने,
हमको ये समझाने में।।
कि धर्म नहीं आतंक का,
वो तो भटके से मुशाफिर हैं।
समस्या लेकिन यह है कि,
हम उसकी नजरों में काफिर हैं।।
जब मिलेगा मौका वो फिर से हमला बोलेगा।
तेरे मेरे खून से पाप अपने धो लेगा।।
क्योंकि उसकी नजर में तो यह उसका धर्म है।
जन्नत का वो हक़दार बने, सब उसकी खातिर कर्म है।।
@n@nt

पहचान मुझे मैं भारत हूँ।।

पहचान मुझे मैं भारत हूँ।।
>>
क्रोधित हूँ, आवेशित हूँ, 
असहिष्णु तक घोषित हूँ।
अब भी क्या मैं चुप रहूँ, 
जब चहुँ दिशा से शोषित हूँ।।
पहचान मुझे मैं भारत हूँ।
>>...>>
हर जुल्म के आगे डटा रहा था,
तुफानो में मैं खड़ा रहा था।
तब भी घुटने टेके ना थे,
जिद्द पर अपनी अड़ा रहा था।।
वो दौर गया,
मैं आज़ाद हुआ,
सोचा अब मेरे भी दिन बदलेंगे।
ना जान सका,
पहचान सका,
कि शत्रु तो भीतर ज्यादा पनपेंगे।।
>
आज तो मैं अपनों से ही आहत हूँ।
पहचान मुझे मैं भारत हूँ।।
>>
छला जा रहा अपनों से,
झूठ मुठ के सपनो से।
दुष्ट निवाले छीन रहे,
दीन, दुखी और बच्चों से।।
जो भूल गए वो याद करो,
मैं ही शिव का तांडव हूँ।
रघुकुल का राम हूँ मैं,
अर्जुनरूपि पांडव हूँ।।
अधर्म का नाशी मैं महाभारत हूँ।
पहचान मुझे मैं भारत हूँ।
>>
इस धरा की खोई विरासत हूँ।
पहचान मुझे मैं भारत हूँ।
@n@nt -feel free to share ur views

‎अपनी_हस्ती_लूटा_रहे_हम‬.

‪#‎अपनी_हस्ती_लूटा_रहे_हम‬.
ना जाने चले कहाँ से थे, किधर को जा रहे हम.
आज अपने ही हाथों अपनी हस्ती लूटा रहे हम.
जो मिली थी हमको इस भूमि से विरासत,
छोड़ उसे पराई सर पर बिठा रहे हम.
आज अपने ही हाथों अपनी हस्ती लूटा रहे हम.
आन इस धरा की कहीं खाक हो ना जाए,
शोलो से रहगुजर है कहीं राख हो ना जाए,
आँख मूंद कर दौलत अपनी लूटा रहे हम.
आज अपने ही हाथों अपनी हस्ती लूटा रहे हम.
@n@nt

जमानत‬ मैं दूंगा।।

‪#‎पाकिस्तान‬ को जिंदाबाद कहो।
‪#‎जमानत‬ मैं दूंगा।।
‪#‎हिंदुस्तान‬ को मुर्दाबाद कहो।
#जमानत मैं दूंगा।।
‪#‎शहीदों‬ का अपमान करो।
#जमानत मैं दूंगा।।
‪#‎आतंक‬ का गुणगान करो।
#जमानत मैं दूंगा।।
‪#‎धर्म‬ का चाहे अपमान करो।
#जमानत मैं दूंगा।।
‪#‎अधर्म‬ का सम्मान करो।
#जमानत मैं दूंगा।।
‪#‎भारत‬ माँ को डायन बोलो।
#जमानत मैं दूंगा।।
‪#‎राम‬ को चाहे रावण बोलो।
#जमानत मैं दूंगा।।
।।।
मैं ‪#‎अंग्रेजी‬ कानून हूँ,
हर ‪#‎इल्जाम‬ से तुम्हे बचा लूंगा।
बस ‪#‎देशभक्ति‬ की बात न करना,
वरना घर से तुम्हे उठा लूंगा।।
‪#‎Share_only_if_u_support‬...

युग चला किस राह पर।

कोई आज मुझे बस बतलादे बस, 
ये युग चला किस राह पर।
में अकेला क्या करूं, 
कुछ कर सकुँ ना चाह कर।।
।।
हे अबंर के वासी, आ देख,
मंजर हैं बरबादी के।
यही अगर जो पृलय है,
तो मेरा भी इसांफ कर।।
।।
मैं सच में हुँ परेशान सोचकर,
ये युग चला किस राह पर।
में अकेला क्या करूं,
कुछ कर सकुँ ना चाह कर।।
।।
@n@nt

Friday 17 June 2016

माइ चोइज।

माइ चोइज
आजादी के नाम पर अस्लीलता फैलाने की खुली छूट मागंने वाले तब क्या कहेंगे जब कोइ इसी आजादी की दुहाइ देकर बिच सड़क पर नगां होने की जिद्द करने लग जाऐ।
तब आप अपनी बहन बेटीयों को यह अजादी दिखाने वहाँ ले जाओगे या उस आजादी को दिखाने, उन्हे अपने घर बुलाओगे?

चल चल कलम, तु उठा कदम,

चल चल कलम, तु उठा कदम,
और लिखदे मन की बात को।
लिख, जो मन में है गुब्बार भरा,
लिख बेकाबु जज्बात को।।
बोली वो,
क्या लिखुं, गीत, गजल या शायरी,
या लिख दूँ एक कहानी।
बादल लिख दूँ, पर्वत लिख दूँ,
या नभ से गिरता पानी।।
,,,,
मैंने कहा, गीत, गजल और पर्वत छोड़,
रहने दे बरसात को।
लिखना है तो लिख, मेरे बेकाबु जज्बात को।।
,,,
वो बोली, देख भाई @अनंत, बैकती तो कर मत और मोबाइल में खुद से लिखले।।
@n@nt

ये जो नेता है, ये तो होता ही है खोटा।

ना सुबह को भुला, ना साँझ को लौटा,
ये जो नेता है, ये तो होता ही है खोटा।।
-
गिरगिट भी शरमाता है,
इसकी रगंकला को देखकर।
सापों ने ड़सना छाड़ दिया,
इसका डसना देखकर।।
कब किधर को मारे पलटीे,
ये कोइ भी ना जान सका।
कभी कभी तो अपनी कथनी,
खुद ये भी ना मान सका।।
सिधी भाषा में कहें तो, ये है बिन पैन्दे का लोटा।
ये जो नेता है, ये तो होता ही है खोटा।।

एक चिगांरी नजर तो आऐ,
और थोड़ा मतलब भी दिख जाए।
ले चमचों की फौज वहाँ,
ये दौड़ा दौड़ा जाए।।
तेल छिड़क कर मिट्टी का,
खुद ही आग लगाता है।
लेकिन कहता ये है कि,
वो तो आग बुझाता है।।
फूल दिखाकर दूर से, ये काटें हरदम बोता।
ये जो नेता है, ये तो होता ही है खोटा।।
@n@nt

मैं पुरुष हुँ।

मैं पुरुष हुँ,
मेरा नारी से सवाल है।
क्या हर पुरुष, होता एक समान है?
>>>
माना दुष्ट बहुत हैं पुरूषों में,
पर क्या सतं हैं होती नारीयाँ।
क्या पुरूष हैं केवल आनंद में,
और दुखी हैं सारी नारीयाँ।।
!
अक्सर तुमको देखा है,
पुरूषों को ललकारते।
गुनाह एक का, दोषी सारे,
सब हमको ताने मारते।।
!
जिसने किया, उसको बोलो,
उसका भी एक नाम है।
क्यों हर बार और हर जगह,
केवल पुरूष ही बदनाम है।।
!
मैं साथ नहीं अन्याय के,
ये तुम भी खूब जानती हो।
फिर भी हर गुनाह का जिम्मेदार,
तुम पुरूषों को मानती हो।।
!
हे देवी,
क्या तू इन सब बातों से अजांन है?
मैं पुरुष हुँ,
मेरा नारी से सवाल है।
क्या हर पुरुष, होता एक समान है?
>>>
होंगे कई,
जिन्होने दर्द दिया होगा।
तेरे आधिकारों में,
शायद फर्क किया होगा।
किन्तु नेकी की मिशाल भी तो हैं,
जाने कितनो ने कई बार,
तेरा भी पक्ष लिया होगा।।
!
रावण मुझमें था, किन्तु राम भी तो था।
कशं मुझमें था, किन्तु श्याम भी तो था।।
तुम भी तो सुर्पनखा थी,
इसको क्यों भूल जाती हो।
जब भी देती हो मिशाल,
तुम तो सिता बन जाती हो।।
!
तुम कहती हो कि तुम झांसी की रानी थी।
तो बताओ जिसके कारण युद्ध हुआ,
कौन वो महारानी थी।।
वो भी तुम थी देवी,
ये दोनो रूप भी तेरे हैं।
ये तो गुणों पर निर्भर होता है,
क्योंकी गुण तो एसे ही कुछ मेरे हैं।
!
हे नारायणी,
क्या तू ही है इमानदार, और सारे पुरूष बेइमान हैं?
मैं पुरुष हुँ,
मेरा नारी से सवाल है।
क्या हर पुरुष, होता एक समान है?
>>>
तुम्हारे बलिदानों का मोल नहीं,
जुल्मों को तुमने भी सहा था।
लेकिन मत भूल कि तुम्हारी रक्षा में,
रक्त पुरूषों का बहा था।
!
मैं तो आज भी तुझको देखकर,
नतमस्तक हो जाता हुँ।
जिंदगी की धुप में तपता,
तेरी छायाँ पाता हुँ।।
!
मां का आचंल तु ही है,
तु ही बहन का प्यार है।
पत्नी रूप में प्रेम है तु ही,
बेटी में तु सस्कांर है।।
!
पुजा, तुझको सम्मान दिया,
दुर्गा शाक्ति के रूप में।
गीता तक को अपनाया,
नारी के स्वरूप में।
!
हे पुज्यनिय,
क्या यही तेरा अपमान है।
मैं पुरुष हुँ,
मेरा नारी से सवाल है।
क्या हर पुरुष, होता एक समान है?
>>>
मत भूलो कि वह भी एक पुरूष है,
जिसको बांधी तुमने राखी है।
और वह भी तो परूष है,
जो कि बनता जिवनसाथी है।।
!
फिर भी तु आ जाती है,
इस दुनिया के बहकावे में।
लेकर झडां शामिल होती,
झूठ के दिखावे में।।
!
क्यों तुमने यह भेद किया,
जिससे हो जाता टकराव है।
इन बातों से तो रिस्तो में,
आ जाता ठहराव है।।
!
मुझ बिन तु सपुंर्ण कहाँ,
तुझ बिन मैं अधूरा हूँ।
तू नहीं तो मैं खत्म,
तेरे साथ से ही पूरा हुँ।।
!
हे कल्याणी,
तुझे समझ ना आया अब तक, क्या तु बिल्कुल ही नादान है?
मैं पुरुष हुँ,
मेरा नारी से सवाल है।
क्या हर पुरुष, होता एक समान है?
>>>
कितने पाप हैं पुरूषों के,
जिसमे नारी ने ना साथ दिया।
और कितने घर मैं बतलादूं,
जिनको नारी ने बरबाद किया।।
!
फिर केवल मैं ही क्यों,
संदिग्ध सा बन जाता हुँ।
हे नारी, मैं पुरूष हूँ,
इसलिए चुप रह जाता हुँ।।
!
मेरा भी मन है,
वो दुखता है।
कोई शक करे,
वो चुभता है।।
!
मुझे क्षमां करें, अगर मैं कड़वा ज्यादा बोल गया।
दिल में था गुब्बार सा, सब यहाँ पर खोल गया।।
!
अंत में प्रश्न बड़ा आसान है,
हे काली कलकत्ते वाली,
पुरूषों को ही गाली देना, क्या यह कोई समाधान है?
मैं पुरुष हुँ,
मेरा नारी से सवाल है।
क्या हर पुरुष, होता एक समान है?

अब नारी तो इस रचना को, चुल्हे में जलाएगी।
पुरूष इसे ना share करें, वरना तो शामत सी आ जाएगी।।
मेरा देखो क्या होता है, क्योंकी वो भी नेट चलाती है।
समझेगी इस बात को, या फिर वो तूफान मचाती है।।
पर मैं उसको समझा लुंगा, क्योंकी यह लिखने का एक कारण है।
First comment इस पोस्ट की, जहाँ इसका वर्णन है।।
@n@nt

डियर देश के नेता।

डियर देश के नेता, डियर देश के नेता।
तु तो बस है लेता, लेता, वापस कुछ ना देता।
डियर देश के नेता, डियर देश के नेता।।

जब जब होते नये चुनाव,
तु ले कटोरा आता हैI
नाक पौंछता छुटकु की तु,
फिर बड़कु सगं तु खाता है।।
दो पसिने बूँद जब,
तेरे माथे पर दिख जाती है।
चमचे वाले कैमरे से,
तब फोटो भी खिंच जाती है।।
बची कसर तो एप्पल से, सेल्फी ले ले बेटा।
डियर देश के नेता, डियर देश के नेता।

फिर जो तेरा नबंर लगता,
तु मुड़ के नहीं आता है।
ऐ सी वाले महलों में,
आराम तु फरमाता है।
रक्षक बनकर दूध का
तु बिल्ली सा मुस्काता है।
छाछ हमें तु बाँटता,
खुद रस मलाई खाता है।
मान गए ओ नेता तुझको, सबको खाबों में लपेटा।
डियर देश के नेता, डियर देश के नेता।।
@n@nt

Sunday 5 June 2016

कैसे बचेंगे पेड़??

हम सब ग्लोबल वॉरमिंग से चिंतित हैं.
असमय आने वाली बाढ़ से हम चिंतित हैं.
हर साल पड़ने वाले सूखे से हम चिंतित हैं.
>>
हम सब घटते हुए जंगलों से चिंतित हैं.
हम सब बढ़ते हुए प्रदूषण से चिंतित हैं.
>>
हम सब वन्य जीवों के उजड़ते आशियाने से चिंतित हैं.
जीवों के प्रति उदासीन इस जमाने से चिंतित हैं.
>>>
फिर हम दोष दुनिया को देते हैं
फिर हम दोष सरकारों को देते हैं
फिर हम दोष विभागों को देते हैं.
>>
अंत में हम केवल भाषण करते हैं.
खुद से पूछो हम प्रकृति के लिए क्या करते हैं???
>>>
इस पोस्ट का उद्देश्य किसी को दोषी बताना नहीं, लेकिन यह सवाल ज़रूर है कि इन सब मुसीबतों से बचाने वाले वृक्षों के लिए क्या हम कुछ कर सकते हैं?
शहरी जीवन के लिए तो पेड़ बचाओ आंदोलन फ़ेसबुक से आगे नगण्य है.
2-BHK फ्लॅट में कहाँ पेड़ लगाने की जगह होती है?
हम सभी के लिए पेड़ लगा पाना आसान नहीं क्योंकि किसी पेड़ को पनपने के लिए सबसे पहली आवश्यकता भूमि की होती है जो आज के युग में हम सभी के पास होना संभव नहीं है.
>>>
तो अब क्या किया जाए कि सभी जागरूक लोग वृक्षों-रोपण जैसा पुण्य का काम अपने सीमित संसाधनो के दायरे में कर सकें..
यह भाषण नहीं है,
अगर आप भी चिंतित लोगों में अपने आपको मानकर चलते हो तो, समाधान दो..
>>
केवल पेड़ बचाओ-पेड़ बचाओ कहने भर से थोड़े काम चलेगा.


Sunday 29 May 2016

ना जाने चले कहाँ से थे, किधर को जा रहे हम.

ना जाने चले कहाँ से थे, किधर को जा रहे हम.
आज अपने ही हाथों अपनी हस्ती लूटा रहे हम.

जो मिली थी हमको इस भूमि से विरासत,
छोड़ उसे पराई सर पर बिठा रहे हम.
आज अपने ही हाथों अपनी हस्ती लूटा रहे हम.
आन इस धरा की कहीं खाक हो ना जाए,
शोलो से रहगुजर है कहीं राख हो ना जाए,
आँख मूंद कर दौलत अपनी लूटा रहे हम.
आज अपने ही हाथों अपनी हस्ती लूटा रहे हम.

शेविंग ब्लेड को कूड़े व कचरे में बिलकुल न डालें


जानकारी के अभाव में 90% घरो में ऐसा हो रहा है और अनजाने में हम पाप के भागीदार बन रहे हैं
प्रिय दोस्तों , एक ताजा जानकारी के अनुसार शेविंग करने के बाद कूड़ादान में ब्लेड के फेंकने के कारण हर साल हजारो पशुओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है
ध्यान दीजियेगा की कचरे में मुंह मारते हुए जब ब्लेड जानवर के गले में फंसता है तो उसकी पीड़ा का हम अंदाजा भी नही लगा सकते वो बहुत जोर से छटपटाता है और फिर प्राण त्याग देता है
मूक जानवर के पास ब्लेड को गले से निकालने का कोई जरिया नही है
मेरे घर के पास कुछ ही दिनों पहले एक गऊशाला में गाय ने प्राण त्याग दिए और बाद में पोस्टमार्टम में उसके पेट में ब्लेड चले जाने की पुष्टी हुई
दोस्तों, पुराने ब्लेड को कचरे में डालने को बजाए घर पर कोई डिब्बे में डालना शुरु कर देवें
अगर आप हर रोज भी शेविंग करते हैं तो भी आप पांच साल में एक किलो के डिब्बे को पुराने ब्लेड से नही भर पायेगें
और जब आपको लगे की ज्यादा ब्लेड इकट्ठे हो गए है तो उन्हें जमीन में 2-3 फीट नीचे दबा देवे
2-3 महीने में ही उनमे जंग आ जाता है फिर वो किसी को हानि नही पहुचा सकते
नोट कीजिये ब्लेड से ज्यादा पैनी इस दुनिया में कोई चीज नही है...तलवार भी नही
कृपा इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें

शेविंग ब्लेड को कूड़े व कचरे में बिलकुल न डालें

भाई राम राम - सलाम भाईजान

एक सवाल हर उस हिंदू से जो नफ़रत करता है मुसलमान से...
और जो करता है नफ़रत हिंदू से, वही सवाल है उस मुसलमान सेI 

Main Hindu Tu Musalman
एक पल को मान लिया जाए कि जो तुम कर रहे हो अपने धर्म के लिए या मज़हब के लिए...
हिंदुओं को काटने की बात या मुस्लिम को मिटाने की बात... सच्चाई के धरातल पर यह कितना संभव है?

क्या इस देश से 15 या 20 या 25 करोड़ जीतने भी मुसलमान बसते हैं, उन्हे हटाया या मिटाया जा सकता है... किसी भी तरीके से? या किसी भी तरीके से इस देश के सभी हिंदुओं को ख़त्म किया जा सकता है?
जो एक हिंसक कट्टरता इन दीनो हावी है कुछ हिंदुओं पर और मुसलमानो पर, उस कट्टरपंथ की माँग यही हैI

कोई चाहे इसे माने या नहीं लेकिन हक़ीकत एक ही हैI हिंदू भी यहीं रहेगा और मुसलमान भी...
अब रहना कैसे है यह हमें ही तय करना हैI
डर के साए में रहना है या सामने वाले को डरा के रखना हैI
अपने सम्मान और अपनी अस्मिता के लिए खड़े होना ग़लत नहीं लेकिन उसी के नाम पर किसी निर्दोष हिंदू या निर्दोष मुसलमान को सज़ा देना ना तेरा अल्लाह माफ़ करेगा ना तेरा भगवानI

और इतिहास इस बात की गवाही चीख चीख कर देता है कि जब जब हिंदू मुसलमान आमने सामने हुए तब तब भुगता केवल मासूमों ने ही हैI चिंगारी दिखाने वाले दूर से बर्बादी का तमाशा देखकर खुश हो रहे होते हैंI

क्रोध और नफ़रत के आवेग में हथियार जब चलते हैं तो मानवता के मूल्य बिखर जाते हैंI
तब यह होश नहीं रहता कि एक मौत कई सारी ज़िंदगियाँ तबाह कर देती हैI

अपने ठेकेदारों के हाथों की कठपुतलियाँ बनकर भीड़ जब ज़ुल्म करने लगती है तो इसकी चपेट से कोई नहीं बच पाता हैI तब बलात्कार की शिकार एक हिंदू की बहन भी होती है और मुसलमान की बहन भीI और हर ज़ुल्म की दास्तान के अंत में केवल पछतावा शेष रह जाता हैI

अगर इस देश की एकता और अखंडता की थोड़ी भी चिंता है किसी हिंदू या मुसलमान को तो सबसे पहले एक दूसरे की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करना तुम्हे सीखना होगाI बहुत हैं मुल्ले और पंडित यहाँ जो तुम्हारे इस कदम को धर्म के विरुद्ध और मज़हब की तौहीन साबित करने की कोशिश करेंगेI
बस अपने दिल से पूछो,
क्या तेरा खुदा इतना बेरहम है...
या तेरे भगवान में दया नहीं...

क्या केवल हिंदू को बस अधिकार है जीने काI
या केवल मुसलमान ही बस रह सकता है इस धरती परI

अबे तुम होते कौन हो जो इस दुनिया को रचनेवाले की रचना पर सवाल उठाते होI
अगर उसे बनाने होते सब हिंदू ही तो वह इतना काबिल खुद हैI
या उसे है प्यार खाली मुस्लिम से तो काफ़िर पैदा ही क्यों होते हैं?

अगर उस खुदा से तुमको मोहब्बत है, तो उस से भी मोहब्बत कर जिसे उसने ही बनाया हैI
तू बात करता है भगवान की तो जानले, उसने तो इस धरती पर हर प्राणी को बसाया हैI

हमारा आह्वान है हर एक सच्चे हिंदू से और पुकार है हर एक नेक मुसलमान को...

क्यों नहीं उन नियमों को और पाबंदियों को ख़त्म करते जो रुकावट हैं दिलों के मिलन मेंI
मेरा धर्म ये कहता है या मेरा मजहब ये सिखाता इन से आगे निकल और ये बता कि तेरा धर्म या मज़हब, मैं जैसा हूँ, जो भी हूँ, उसी रूप मे क्या मुझे स्वीकारने को तैयार हैI अगर नहीं तो तू मुझे कैसे स्वीकार सकता है???
ये मत कह कि मुझे तेरे जैसा होना होगाI
मैं जैसा हूँ तुझे वैसे ही मुझे अपनाना होगाI

एक दूसरे के भ्रम दूर करो और विश्वास पैदा करो कि सबसे पहले हम हिन्दुस्तानी हैं, किसी के बहकावे में आने वाले मूर्ख और अंधी भीड़ का हिस्सा नहीं हम...I जब अत्याचारी सामने आए तो हिंदू को भी उठ ख़ड़ा होना होगा और मुसलमान को भीI ज़रूरत होने पर हथियार भी उठाना होगा, लेकिन उसका निशाना जुल्मी होगा ना कि वो लोग जो हमारे अपने हैंI

भरोशा रखिए...  फ़िज़ा का रंग बदलेगा... रास्ता यही है प्रेम और मोहब्बत काI

पुनर्जन्म: मौत के बाद जिंदगी..

भारत ही नहीं दुनिया के कई हिस्सो से समय समय पर इस प्रकार की खबर अक्सर सुनने को मिलती हैI ज़्यादातर मामलों में छोटे बच्चे अपनी किसी अलग पहचान का दावा करते नज़र आते हैंI मीडीया चॅनेल्स पर वैज्ञानिक, ज्योतिष् के विशेषज्ञ और धर्म विशेष के जानकार इस प्रकार की बहस करते नज़र आते हैंI अलग लोगों के इस पर अलग मत हैं, कई मनोरॉगी इसे केवल एक मनोरोग बताते हैं और कई ऐसे भी हैं जो उनसे सहमत नहीं हैI जो लोग पुनर्जन्म के पक्ष में हैं उनकी पहली दलील यह होती है कि क्यों एक ही समय पैदा हुए दो अलग बच्चे, अलग अलग भाग्य पाते हैं? एक का जन्म सभी सुख सुविधाओं से संपन्न परिवार में हो जाता है और दूसरे का जन्म अभावों से पीड़ित किसी परिवार मेंI क्यों कोई राजा बन जाता है और दूसरा रंक? वो मानते हैं कि जीवन में मिलने वाले कष्ट और आनंद पिछले जन्म में हमारे द्वारा किए गये अच्छे अथवा बुरे कर्मों के ही परिणाम होते हैंI
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विज्ञान से उत्तर माँगा जाता है तो वह दुविधा में नज़र आता हैI वह इसे स्वीकारता नहीं लेकिन इसी नकार भी नहीं पाता हैI उनके तर्क तब ख़त्म हो जाते हैं जब सवाल यह उठता है कि कोई निर्बोध बच्चा कैसे किसी मृत आदमी या औरत के जीवन के बारे में इतना कुछ जनता हैI ऐसी बातें जो केवल वही व्यक्ति जनता था जिसकी मौत हो चुकी है, उसके अलावा उसके अपने बस वो बात जानते थेI कई बार तो मौत की वजह भी पुनर्जन्म होने के बाद ही पता चल सकी हैI ऐसे लोग जिन्होने पहले इस बात पर संदेह किया यह तर्क देते हुए कि कोई किसी मरे हुए व्यक्ति की जानकारियों को चुराकर लोगों को बेवकूफ़ बना रहा है, जिसमे किसी बच्चे का सहारा लिया जाता हैI वो लोग तब निरुत्तर हो जाते हैं जब उस बच्चे को पहली बार उस स्थान पर ले जया जाता है जहाँ उसने अपने पिछले जन्म का दावा किया होता हैI अचम्भा होता है यह देखकर जब वह बच्चा खुद अपने घर का रास्ता तय करता है, उस बच्चे में आत्मविश्वास भरा होता है जो बनावटी तो कतई नहीं हो सकताI आलोचको के मुँह तब बिल्कुल बंद हो जाते हैं जब मरे हुए व्यक्ति के मा बाप इस बात की पुष्टि कर देते हैंI

धार्मिक दृष्टि से अगर इसे देखा जाए तो दुनिया के प्रमुख धर्मों में से केवल हिंदू धर्म की मान्यता और इस से जुड़ी शाखाएँ ही पुनर्जन्म में पूर्ण विश्वास रखती हैंI इस्लाम तथा ईसाइयत इसे सिरे से नकार देती हैI


हिंदू मान्यता इस से आगे भी कुछ कहती है, उसके अनुसार आत्मा अजर अमर है और जो जन्म जन्मान्तर के इस चक्र में हर बार एक नया शरीर धारण कर जन्म लेती रहती हैI साथ ही जन्म जन्मान्तर के चक्र से मुक्त होने का मार्ग भी बताया है, जिसे कहते हैं मोक्षI मोक्ष तो ना जाने कब मिलेगा, कैसे मिलेगा लेकिन जब तक जन्मों के फेरे में हैं और फिर से जन्म इसी धरती पर लेना है तो करमो पर ध्यान अभी से देने लग जाओI और यह भी हिसाब लगाने लग जाओ की,

कितने अच्छे या बुरे हैं आपके इस जन्म के कर्म?
पुण्य और पापों में से क्या ज़्यादा है और क्या है कम?

 

क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि जब कोई मरता है तो आत्मा अपने नए सफर पर निकल जाती है और किसी नए शरीर को प्राप्त करके पुर्वजन्म के कर्मों का फल भोगती है।अगर आप भी पुनर्जन्म में भरोशा रखते हैं तो अगले जन्म में दाखिला आपके कर्मों के रिपोर्ट कार्ड के आधार पर ही मिलेगा, यह तो पक्का हैI वैसे इस लेख को अपने दोस्तों से साझा करने पर एक पुण्य तो आप यहीं कमा सकते हैंI
इस लेख के साथ कुछ ऐसी ही कहानियाँ की रिपोर्टिंग दिखाई गई है, देखिए और खुद तय कीजिए..
पुनर्जन्म सच है या महज भ्रम?