Tuesday 26 July 2016

‎खाये_खाये‬ के मुटियाये

‪#‎खाये_खाये‬ के मुटियाये, भूख ना पूरी होये है।
भूखा बचपन बिलख रहा, ‪#‎तड़प_तड़प‬ के रोये है।।
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ना तुझको ना फुरसत मुझको,
बात बड़ी सब करते हैं।
याद इन्हें कब करते हम,
जब पिज़्ज़ा बर्गर चरते हैं।
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उम्मीद बांधते उनसे हैं,
जिनका मर चुका ईमान है।
थोड़ा तू कर थोड़ा मैं करूँ,
ये सब भी तो इंसान हैं।।
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जगा उन्हें ओ बंधू प्यारे, जो मानव मूल्य सोये हैं।
भूखा बचपन बिलख रहा, तड़प तड़प के रोय है।।
@n@nt

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