Friday 17 June 2016

ये जो नेता है, ये तो होता ही है खोटा।

ना सुबह को भुला, ना साँझ को लौटा,
ये जो नेता है, ये तो होता ही है खोटा।।
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गिरगिट भी शरमाता है,
इसकी रगंकला को देखकर।
सापों ने ड़सना छाड़ दिया,
इसका डसना देखकर।।
कब किधर को मारे पलटीे,
ये कोइ भी ना जान सका।
कभी कभी तो अपनी कथनी,
खुद ये भी ना मान सका।।
सिधी भाषा में कहें तो, ये है बिन पैन्दे का लोटा।
ये जो नेता है, ये तो होता ही है खोटा।।

एक चिगांरी नजर तो आऐ,
और थोड़ा मतलब भी दिख जाए।
ले चमचों की फौज वहाँ,
ये दौड़ा दौड़ा जाए।।
तेल छिड़क कर मिट्टी का,
खुद ही आग लगाता है।
लेकिन कहता ये है कि,
वो तो आग बुझाता है।।
फूल दिखाकर दूर से, ये काटें हरदम बोता।
ये जो नेता है, ये तो होता ही है खोटा।।
@n@nt

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