चल चल कलम, तु उठा कदम,
और लिखदे मन की बात को।
लिख, जो मन में है गुब्बार भरा,
लिख बेकाबु जज्बात को।।
बोली वो,
क्या लिखुं, गीत, गजल या शायरी,
या लिख दूँ एक कहानी।
बादल लिख दूँ, पर्वत लिख दूँ,
या नभ से गिरता पानी।।
,,,,
मैंने कहा, गीत, गजल और पर्वत छोड़,
रहने दे बरसात को।
लिखना है तो लिख, मेरे बेकाबु जज्बात को।।
,,,
वो बोली, देख भाई @अनंत, बैकती तो कर मत और मोबाइल में खुद से लिखले।।
@n@nt
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